जयशंकर ने पश्चिमी देशों की बोलती की बंद, रूसी तेल पर हल्ला मचाने वालों को खूब सुनाया

S. Jaishankar Slams Western Countries: रूस और यूक्रेन के बीच करीब ढाई साल से चल रहे संघर्ष (Russia-Ukraine War) के बीच रूसी तेल (Russian Oil) खरीदने की पश्चिमी देशों की आलोचना (Western Countries Criticism) पर भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर (S. Jai

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S. Jaishankar Slams Western Countries: रूस और यूक्रेन के बीच करीब ढाई साल से चल रहे संघर्ष (Russia-Ukraine War) के बीच रूसी तेल (Russian Oil) खरीदने की पश्चिमी देशों की आलोचना (Western Countries Criticism) पर भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर (S. Jaishankar) ने जवाब दिया है. विदेश मंत्री एस जयशंकर ने 2 टूक में ही पश्चिमी देशों की बोलती बंद कर दी है. इसके साथ ही यूरोप के 'चुनिंदा दृष्टिकोण' की आलोचना करते हुए उन्होंने पूछा कि अगर यह सिद्धांतों का मामला है तो यूरोप (Europe) ने खुद रूस के साथ अपने कारोबार को क्यों नहीं खत्म किया?

हर हिस्से के अपने-अपने हित...

इटली में इतालवी न्यूज़पेपर कोरिएरे डेला सेरा को दिए इंटरव्यू में एस. जयशंकर (S. Jaishankar) ने दुनिया के अन्य हिस्सों से यूरोप की अनुचित अपेक्षाओं पर प्रकाश डाला. उन्होंने कहा कि दुनिया के हर हिस्से के अपने-अपने हित होते हैं और यह समझना जरूरी है. इसके साथ ही एस. जयशंकर ने रूस-यूक्रेन युद्ध (Russia-Ukraine War) पर बात की और यूक्रेन वॉर डिप्लोमैटिक हल पर जोर दिया. उन्होंने इंटरव्यू के दौरान भारत-चीन संबंधों (India-China Relation) समेत कई मुद्दों पर भी बात की.

जयशंकर ने कहा, 'दुनिया के इस हिस्से (पश्चिमी देश) को यह समझना होगा कि दुनिया के हर हिस्से के अपने हित हैं. यूरोप की प्राथमिकताएं स्वाभाविक रूप से एशिया या अफ्रीका या लैटिन अमेरिका के देशों से अलग होंगी. अगर सब कुछ इतने गहरे सिद्धांत का मामला है तो यूरोप को खुद ही रूस के साथ अपने सभी व्यापार खत्म कर देने चाहिए थे, लेकिन उसने ऐसा नहीं किया. वह बहुत ही चयनात्मक रहा है और उसने बहुत ही सावधानी से अपने अलगाव को आगे बढ़ाया है. इसलिए, यह कहना कि यह क्षेत्र (यूरोप) अपने लोगों की चिंता करेगा और दूसरों को इस बात की चिंता नहीं करनी चाहिए कि उन पर इसका क्या प्रभाव पड़ेगा, उचित नहीं है.'

क्या यूरोप को खुश करने के लिए भारत चुकाए ज्यादा कीमत?

एस. जयशंकर (S. Jaishankar) ने आगे सवाल किया कि भारत को सिर्फ आपको (यूरोप को) खुश करने के लिए ज्यादा कीमत क्यों चुकानी चाहिए. उन्होंने आगे कहा, 'और कृपया एक बात समझिए. यूरोप रूस से ऊर्जा आयात कर रहा था. फिर यूरोप ने दूसरे उत्पादकों की ओर रुख करना शुरू कर दिया और इससे बाजार पर दबाव पड़ा. तो हमें क्या करना चाहिए? सिर्फ आपको खुश करने के लिए ज्यादा कीमत चुकानी चाहिए? जीवन का मतलब दूसरे लोगों के हितों का सम्मान करना है, न कि हर चीज को अपने हिसाब से करना.'

बातचीत से निकले रूस-यूक्रेन जंग का हल

रूस-यूक्रेन संघर्ष के समाधान पर भारत की स्थिति के बारे में पूछे जाने पर एस. जयशंकर (S. Jaishankar) ने दोहराया कि भारत हमेशा से कूटनीति और बातचीत के माध्यम से युद्ध को समाप्त करने की वकालत करता है. उन्होंने कहा, 'हमें लगता है कि संघर्ष को समाप्त करने का रास्ता खोजने के लिए कूटनीति होनी चाहिए. और हम यही करने की कोशिश कर रहे हैं.' जयशंकर ने संघर्ष को हल करने के लिए भारत के प्रयासों पर प्रकाश डाला और बताया कि समाधान युद्ध के मैदान में नहीं है. उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि जब तक मॉस्को और कीव बातचीत की मेज पर नहीं बैठते, तब तक कोई भी यह नहीं जान सकता कि दोनों पक्ष क्या चाहते हैं. (इनपुट- न्यूज़ एजेंसी एएनआई)

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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